लेखनी कविता -प्यास के क्षण - बालस्वरूप राही

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प्यास के क्षण / बालस्वरूप राही बाँट दो सारा समंदर तृप्ति के अभिलाषकों में, मैं अंगारे से दहकते प्यास के क्षण माँगता हूँ, दूर तक फैली हुई अम्लान कमलों की कतारें, ...

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