158 Part
33 times read
1 Liked
प्यास के क्षण / बालस्वरूप राही बाँट दो सारा समंदर तृप्ति के अभिलाषकों में, मैं अंगारे से दहकते प्यास के क्षण माँगता हूँ, दूर तक फैली हुई अम्लान कमलों की कतारें, ...